फटा दूध

पोस्‍ट-कोविड हिन्‍दी फिल्‍मों का भट्ठा बैैठा हुआ है. तेलुगु, तमिल, मलयालम की लाज बची हुई है. मट्ठा खराब हो कहां रहा है. शमशेरा इतना भाग रहा है, लेकिन कहीं पहुंच नहीं रहा. गंगुबाई काठियावाड़ी भी कमाठीपुरा से निकलकर कहीं पहुंची थी, या बीच रस्‍ते कहीं बेदम हो गई?वजह ताज़ा है, या पुरानी कहानी है? इस पर हांफते, विचार करने हम फिर लौट कर आयेंगे. आप भी आइयेगा. इस मसले पर थोड़ा पसीना बहाते हैं.

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अज़दक

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ताकि किताबों और समाजों में झांकते रहने की गुंजाइश बची रहे. so that the literal and cultural windows remain open a little bit.

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अज़दक

लिखने-पढ़ने की पुरानी बेहया दिलचस्पियां. और फ़ि‍ल्‍मों की.